...

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धड़कनें

सांसें तो चलती रहती है ...
जब तक उसे रहना है।।

ज़िंदगी गुज़रती रहती है ....
जब तक उसे जीना है।।

चार दिन की ज़िंदगी ....
हाय !जीते ही जाना है।।

यही दस्तूर भी है...