...

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मत बिखर तू
#बिखर
निखर जाएगा समझौता कर ले,
बिखर जायेगा ना हठ कर बे;
शीशा कहा टिकता गिर कर रे,
अभी भी मौका है संभल जा रे ...

जिंदगी में आएंगे ऐसे पड़ाव,
जब मुश्किल से आएंगे मौके,
तब होगा भूल का एहसास,
जब चिड़ियां उड़ जाए चुग के खेत...

ये कैसी परिस्थिति है उत्पन,
जब कहीं भी लगे ना मन,
क्या ये है हमारी सोच का आभास,
या जीवन का है ये अभिशाप...

हर कोई पक्का खिलाड़ी नहीं है,
कुछ तो कच्चे ही रह गए यहां,
फिर भी मन में आस के लिए बैठे हैं,
जैसे ईश्वर ही लाके देंगे हाथ में...

तो सोच मत और, कर ले समझौता,
बीता समय ये वापस नहीं आता,
और ना टूटना, अब तो बस निखर,
शीशे की तरह, चमकना है तुझे...

© Dr. Manish Rout