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क्यों बोझ दे रहे हो

क्यों बोझ दे रहे हो?
जिनके हाथों में कलम होनी चाहिए,
उनके हाथों में ईंट और हथौड़े है।
जिनके हाथों में किताब होनी चाहिए,
उनके हाथों में कुछ पैसे और दर्द है।।
क्यों बोझ दे रहे हो?

जिस उम्र में कोई गम नहीं होना चाहिए,
उस उम्र में सिर पर बोझ और थकान है।
जिस उम्र में मां -बाप का साया होना चाहिए,
उस उम्र में सिर पर गर्मी और बरसात है।।
क्यों बोझ दे रहे हो?

जिस बच्चों को अभी सपना देखना चाहिए,
उस बच्चों को काम और पैसों की तलाश है।
जिस बच्चों का जीवन उजाला होना चाहिए,
उस बच्चों का जीवन कारावास और निराश है।।
क्यों बोझ दे रहे हो?

क्यों इन नन्हे - नन्हे, प्यारे - प्यारे हाथों में
हथौड़े , कुल्हाड़ी और सिर पे बोझ दे रहे हो ।
क्यों इनके खुशियों और बचपना को छीनकर,
तुम अपने आप को निर्जीव कर रहे हो।।
क्यों बोझ दे रहे हो?

✍️कंगना मिश्रा
© copy right


@incredible_forever
#internationalchildlabourday2021