...

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ज़िन्दगी को देखने का नज़रिया
क्यों ना आज ज़िन्दगी को देखने का नज़रिया बदला जाए, जो हैं नहीं उसे छोड़ कर, जो हैं क्यों ना उस पर गौर किया जाए, क्यों ना ज़िन्दगी को देखने का नज़रिया बदला जाए.
जो प्यार नहीं करता उसके प्यार को ज़बरदस्ती पाने की बजाए, क्यों ना जो हमसे प्यार करता हैं उसके प्यार को अपनाया जाए, क्यों ना ज़िन्दगी को नई तरह से देखा जाए,
जो अपना हैं क्यों ना उसे स्वारा जाए ,और ज़्यादा पाने की लालच को छोड़ कर जो है क्यों ना उसमे खुशियों को ढूंढा जाए, क्यों ना ज़िन्दगी को नए ढंग से जिया जाए,
वह मुझसे बेहतर हैं, मैं इस काबिल नहीं अपने आप मैं यह सब कमिया निकलने की बजाए, क्यों ना अपनी खूबियों को देखा जाए उन खूबियों को निखारा जाए, क्यों ना ज़िन्दगी को नए नज़रिये से देखा जाए,
ज़िन्दगी की हर तकलीफ को छोड़ कर क्यों ना जो खुशियाँ हमारे पास हैं उन खुशियों पर गौर किया जाए, क्यों ना ज़िन्दगी को नए नज़रिये से देखा जाए,
पुरे दिन मैं किसी लम्हे मैं जो अच्छा हुआ हैं क्यों ना सिर्फ उस लम्हे को याद किया जाए, बाकी दिन भर की बुरी बातों को क्यों ना भुलाया जाए, क्यों ना ज़िन्दगी को नए नज़रिये से देखा जाए.
© नेहा शर्मा