...

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नई शुरुआत
करो नई शुरुवात फिर से आज

जो छूट गया जो रह गया,
जो टूट गया जो बिखर गया।
सबको तुम समेटो आज,
करो नई शुरुवात फिर से आज।

जो विवाद है जो मतभेद है,
जो शिकायत है जो दुख है।
उन सबको भूलो तुम आज,
करो नई शुरुआत फिर से आज।

सपने जो टूट गए इच्छाएं जो अधूरी है,
कुछ सपनों की चाह जो अधूरी है।
खोने का दुःख,पाने की चाह मन मे आज,
करो नई शुरुवात फिर से आज।

भूलो पुरानी बातों को बीते पर वश नही आज,
पुराने जख्मो पर न तुम कुरेदो आज।
हर दिन नवजीवन बनाओ आज,
करो नई शुरुआत फिर से आज।
संजीव बल्लाल ५/५/२०२३
© BALLAL S