...

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आधी रात खाकी वाले
आवाज उठाती नारी पर , जुल्म ढ़हाये जा रहे
हिटलर नये नये आ रहे, है तानाशाही दिखा रहे
मेडल लायी बेटियां, वो फोटो खिंचाने जा रहे
चार दिन सम्मान बाद,अपमान देते जा रहे

कानून है पर न्याय नहीं
शोषण है पर लगाम नहीं
बेटी चली आवाज उठाने
सत्ता है पर आवाम नहीं

जंतर-मंतर धरना दे बैठी,
आधी रात पुलिस उनको पिटी
जब सुरक्षित नहीं बेटी-नारी
फिर किस काम के सरकारी

तानाशाहों के हुक्म है
जनता पर हुक्म चला रहे
आधी रात में खाकी वाले
गरीब की लाशें जला रहे

अब तो भय लगने लगा
फौलादी बेटियां रो रही
कानून भी हम पर जुल्म करें
शोषित बेटी डरती जा रही

© जितेन्द्र कुमार "सरकार "