...

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तब पंख लगें सपनों को..!
मैं डरती नहीं दुखों के तूफ़ानों से,
बंधी नहीं मैं छोटे छोटे अरमानों से,
सबसे बड़ी लड़ाई इन समाज वालों से,
जब मैं तयार हूं तो,
कौन आएगा मेरे राहों में,
थोड़ी आने दो मुश्किलें,
जरा हम भी लड़ना सिखे,
कुछ अच्छा सिंचे,
इन अंधियारों से हम क्यों भिचे,
हम भी निखरें,
तब पंख लगें सपनों को....!!
-VANSHIKA CHAUBEY
#writcopoemchallenge