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तेरे संग अभी मेरा जीना बाकी है
बहुत मिले दुनियां के सफर मैं,
पर तू मेरी रूह का सच्ची साथी है।।
अकेली गुजर चुकी है ज़िंदगी मेरी,
तेरे संग अभी मेरा जीना बाक़ी है।।
आंखों के सामने होना तेरा सफर मैं,
अपनी आंखों में ऐसा इकरार बाकी है।।
बंद होठों से पढ़ लें जो दिल की राही
नजरों की अपनी ऐसी झनकार बाकी है।।
झलके चेहरे से नूर अपनी मोहोब्बत का,
मिलन का दिलों में ऐसा सरूर बाकी है।।
बेजान सा है पुष्प अपने मनोज के बगैर,
मनोज में पुष्प का ऐसा हमरूर बाकी है।।
© Manoj Vinod-SuthaR
💕👁️🅿️👁️💕
हमरुर- अंश
पर तू मेरी रूह का सच्ची साथी है।।
अकेली गुजर चुकी है ज़िंदगी मेरी,
तेरे संग अभी मेरा जीना बाक़ी है।।
आंखों के सामने होना तेरा सफर मैं,
अपनी आंखों में ऐसा इकरार बाकी है।।
बंद होठों से पढ़ लें जो दिल की राही
नजरों की अपनी ऐसी झनकार बाकी है।।
झलके चेहरे से नूर अपनी मोहोब्बत का,
मिलन का दिलों में ऐसा सरूर बाकी है।।
बेजान सा है पुष्प अपने मनोज के बगैर,
मनोज में पुष्प का ऐसा हमरूर बाकी है।।
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