...

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इंतजार
मैं तुमसे मिला ही नहीं,
जो बिछड़ने का डर रहता।
ठीक से बातें भी कहां होती,
जो दिल की बात कहता।
एक बार बतियाने की
उम्मीद लगी रहती थी।
कंही गुम ना हो जाओ
धड़कन ऐसा कहती थी।
फ़िर सालों बाद सब
ठीक हो जाएगा,
ख़यालों में तुमसे मिलना हो जाएगा।
ऐसा एक मुक़ाम भी आया,
दोस्त से तुम्हारा नंबर पाया।
पहचान बतायी
चंद पलों की बातों में,
फ़िर वक्त न बचा हाथों में।
क्लास में होने से
बात न हो पायी,
'कॉल-बैक करुँगी'ये बात सुनाई।
शायद ही तुम्हें
ये वाक़या याद रहेगा,
पर मुझे एक
कॉल बैक का इंतजार रहेगा।
© @poetryhub4u
© Poetryhub4u