...

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पहले की तरह
पहले की तरह वो सारी
तेरी बातें कहाँ गई
दाग चांद के छुपाती
रोशन रातें कहाँ गई

मेरे हाथों की प्यासी थी
तेरे हाथों की हथेली
अब बन बैठा तू जैसे कोई
अनसुलझी सी पहेली

परेशां जो कभी किया हो तुझे
तो जां भी चाहे ले ले
पर बेगाना यूं जान मुझे
जज़्बातों से क्यूं खेले

बेताब सा क्यूं तू है हर पल
यूं साथ छोड़ने को मेरा
फ़िसल रहा तस्वीर पे तेरी
कोहरा अश्क़ों का मेरा

कभी...