वीर रस
#TheUnrequitedLove
वीर रस
मस्तकों के झुंड, अरि-मुंड, तुण्ड-तुण्ड, रण-क्षेत्र में, प्रचंड तू बिखेर दे,
चल-चल हो अचल, पर्वतों सा हो अटल, खलबली शत्रु-समूह धूल सा धकेल दे।
यूँ ही गरज-गरज, अरि-दल पर बरस, मुक्ति-मार्ग तू दिखा, चुटकी में मसल दे।
बन स्वयं तू कृपाण, तज मोह निज प्राण, निज आन-बान-शान तू पहल दे।
कौन सामने टिका,...
वीर रस
मस्तकों के झुंड, अरि-मुंड, तुण्ड-तुण्ड, रण-क्षेत्र में, प्रचंड तू बिखेर दे,
चल-चल हो अचल, पर्वतों सा हो अटल, खलबली शत्रु-समूह धूल सा धकेल दे।
यूँ ही गरज-गरज, अरि-दल पर बरस, मुक्ति-मार्ग तू दिखा, चुटकी में मसल दे।
बन स्वयं तू कृपाण, तज मोह निज प्राण, निज आन-बान-शान तू पहल दे।
कौन सामने टिका,...