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नमामि गंगे!
#विश्व_कविता_दिवस

हे भगीरथ, हार्दिक नमन,
प्रयास तुम्हारा अद्भुत,
अनुपम और निश्छल,

हिमालयी आंचल के उत्तुंग
शिखर पर विद्यमान
गोमुख स्थल से होता
हे मां गंगे, तुम्हारा पावन उद्गम्,

अदृश्य रूप में आरोहित
शिवालिक से शनै:शनै:
तुम्हारा जीवनदायी तरल,

कल-कल, छल-छल,
स्वच्छ अमृत-सम तुम्हारा
निर्मल जल अविरल,

अंजुली में भरकर तुम्हारे ही
जल से करता मैं तुम्हारा अभिषेक,
देता अर्घ तुम्हें, शिव और सूर्य को,
हे गंगा मां, मैं पुत्र तुम्हारा अज्ञानी
किंतु हृदय अत्यंत सरल!!

—Vijay Kumar
© Truly Chambyal