...

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सितम
बाएं जानिब से गिर रहा बुरादा ए हसी,
देखो कहीं ये मेरा सफुफ ए दिल तो नहीं?

जो छिपा है नक़ाब के पीछे मासूम सा,
पता करो कहीं यहीं मेरा क़ातिल तो नहीं?

वफा का समंदर भी बड़ा वसी है दोस्तो,
जजिरे बेहद है मगर यहां साहिल तो नहीं?

सौ ऐब तो हर शख़्स में होते है लेकिन,
तोहमत लगाने वाले भी कामिल तो नहीं?

किरदार अच्छा हो इंसान का और क्या,
खूबसूरती के देखो हम भी काइल तो नहीं?

ज़िन्दगी जीनी है अपने उसूलों पे बस नूर,
वफ़ा बेमोल है आसानी से हासिल तो नहीं?
© Noor_313