...

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"परिवार"
मैं इमारतें बनाता चला गया
पाये छूटते चले गये
मैं जोड़ता रहा ईंच-ईंच
वो टूटते चले गये
मुश्किलों की परवाह कभी न की मैनें
वो हौसले मगर मुड़ते चले...