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"प्रकृति का संदेशवाहक:गुलाब"
© Shivani Srivastava
तुम्हें देखते ही छू लेने को, जब मेरा भी मन ललचाता है..
एक सवाल यही है तब जो मेरे ज़ेहन में ख़ुद आ जाता है।
देख के तुम्हारी खूबसूरती को, सबका ही दिल दीवाना है...
कुछ पल सबको खुशियां देकर फिर तुमको क्यूं मुरझाना है।
क्यूं नहीं खिले रह सकते तब तक जब तक तुमको प्यार मिले..
क्या कभी ख़ुदा से कहा नहीं कि तुमको भी ये अधिकार मिले।
कितने निश्छल हो तुम,सबको एक सी ख़ुशबू ही दे जाते हो..
चाहे कोई तुमको प्यार से पकड़े,चाहे तोड़कर यूं ही गिराते हों।
क्या संदेशवाहक हो तुम प्रकृति के,जो ये संदेश देकर जाते हो..
"अपनी प्रकृति सदा एक सी रखना",हम सबको ये सिखलाते हो।
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