...

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एक किस्सा याद आ गया
एक किस्सा याद आ गया
कोई इस दिल को इस तरह भा गया
धीरे धीरे अरमान मालिक छा गया
हुई थी बातें कुछ इस कदर
समझने लगे थे हम तो उन्हे हमसफर
अनजान थे हम जमाने से
अब नही थी हमें कुछ खबर
रखने लगे थे हम भी सब्र
नही पता था अंजाम का
ये बदलेगा कुछ इस कदर
अब उन्हें मिल चुका था
कोई ओर हमसफर
फिर क्या था ।
बस लाइफ मे थोड़ा सा twist आ गया
अरमान मालिक की जगह बी प्राक भा गया
कोई इस दिल को इस तरह तरसा गया
बिन बदल रिमझिम बरसा गया
अब तो हर जगह बस उनका ही जिक्र आ गया।
चाहा था भुलजाना उन्हे
दिल ने तो उन्हे देवता बना दिया
जानते थे था मुश्किल भूल जाना
अपने देवता को
पर...देखो ना
उन्होने तो हमको नास्तिक बना दिया
उन्होंने तो हमको नास्तिक बना दिया
फिर किया था
हम भी थे आस्तिक
थी श्रद्धा हमे अपने देवता पर
उनके इंतजार में कितना कुछ गवा दिया
अब तो नरेंद्र चंचल ही हमें भा गया