...

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मिलन की आग
गर्म सांसों में सांसों की महक उड़ने दो
इसी तरह कुछ प्यार को मुड़ने दो

माना ज़िन्दगी करवटें लेने लगी है बहुत
कि मुझे लेकर बाहों में अब खुदसे पिघलने दो

तुम देर ना लगाओ खुद से यू दूर रहकर
पास आकर ज़रा प्यार को महसूस करने दो

सह सकती हूं दुनियाभर से रुसवाई भी
लेकिन तुम्हारे आघोश में बूंद बूंद टपकने दो

रात घनी है अभी दूर ना जाओ छोड़कर
कुछ देर और सही अंधेरा अभी ढलने दो

महक उठेगी हर कली बाग की
एक बार भवरे को बाग से तो गुजरने दो

तुम्हारे हर सवाल का जवाब है मेरे पास
लेकिन इस दरमियान तो नजर मिलने दो..!
© UGarima