...

21 views

परिभाषा जिंदगी की
चाहने होने के फर्क का नाम है जिंदगी।
अपने अंदर के उजालों का नाम है जिंदगी।

मोह‌‍‍‌‍ब्बतों के होने या ना होने से,
रिश्तों के खोने या ना खोने से,
एक एहसास है जिसका नाम है जिंदगी।

मिटाने दे वजूद उसका,
या खुद ही को मिट जाने दे,
गम के बादल के छटने का नाम है जिंदगी।

प्यास बुझती नहीं ना ही बुझा करती है,
चाह रुकती नहीं नाही रुका करती है,
इश्क और रहनुअत के होने का नाम है जिंदगी।

दर्द होता नहीं ठोकर के लगने से,
सांसे रूकती है वक्त के पूरे होने से,
शमा के जलते ही रहने का नाम है जिंदगी।

बेगुनाहों पर सितम करने से,
या वतन पर मरने या मिटने से,
शहीदों की ही जिंदगी का नाम है जिंदगी।

इश्क में जन्नत पाने का नाम है जिंदगी।
चाहने होने के फर्क का नाम है जिंदगी।

© Dimpi