...

12 views

क्या तू बताएगी , वह कौन थी?
इश्क़ तो है तुमको भी
तुम्हारी आँखे कहती हैं
पर नकली मुस्कान ओढ़े
हर बार तुम्हारी बातें ठगती हैं
उस दिन कौन था तुममें
जिसकी जान निकल रही थी मेरे जान कहने पर
जिसकी बेचैनी बढ़ रही थी मेरी हंसी सुनने पर
जो मिलने को लेकर रूठी जा रही थी मेरे ना कहने पर
और जिसने रात को किताबें पढ़ी थी मेरी आह भरने पर
वो जो भी थी, कोई कयामत, कोई चक्रवात, कोई हलचल या कोई तीर
पर रोंगटे भन्ना दी थी, धड़कनें बढ़ा दी थी
इस जगत में गुलाबी खुशबू बिखरा दी थी
और मस्तिस्क में प्लेटफार्म की पहली मुलाकात उभार दी थी
जहाँ अब भी बसंत है
गुलमोहर के फूल झड़ते हैं
तेरी खुशबू से जो महकते हैं
तेरी हंसी से अब वो खिलते हैं
क्या तू बताएगी??
वह कौन थी?