...

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हासिल है
सुकून इतना तो किसी के प्यार में नहीं
जितना उसकी नाराजगी में शामिल है

मिलते तो हैं हर रोज अजनबी मुझे
क्या कोई लेकिन दिल्लगी के काबिल है

बाकी रहेंगी कुछ हसरतें लेकिन
खुश उससे रहो जो जिंदगी में हासिल है

तू दूर है,मगर अहसास करीबी का रहा
हर रोज तू मेरी बंदगी में शामिल है

हां भूल जा, तुझे हक है खुशी का
मेरी खुशियां मेरी बेचारगी में कामिल है

कितना नसीब वाला होगा वो शख्स
शरीके हयात बन जिसकी जिंदगी में शामिल है
© Poeत्रीباز