...

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छांव में धूप
जिस तरह हमे गर्मी में सूर्य की रोशनी चुभती है
उसी तरह जीवन में पिता कि कठोरता चुभती है
जो दर्द और पीड़ा किसान को बिन मौसम बरसात में होता है
वही दर्द और पीड़ा पिता के चुप्पी से होती है
जहां मां की दुलार हमें क्षणिक सुख देता है
वहीं पिता की कड़वी बात दर्द पर मरहम होता है
जो घाव पर गहराई से कार्य करता है
पिता हमें निर्दई लगते हैं पर पिता ही वह इंसान है
जिनके वजह से हम ताकतवर समझदार सुलझे और सफल इंसान बनते हैं ।

© freedom