...

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ऐ ठंडी हवा के झोके
ऐ ठंडी हवा के झोके
कभी गया है मेरे मायके,

देखा तूने मेरे घर का आंगन,
महकता हुआ वो रसोई का भोजन!
क्या बना रहीं थीं मेरी अम्मा,
क्या खा रहे थे मेरे बाबा!

सखियों की ओढनी को लहराया तूने
या फिर मेरे घर का चक्कर,
अभी!नहीं लगाया तूने!

ऐ ठंडी हवा के झोके
कभी गया है मेरे मायके!

इस बार अगर तू जाए
भाई को स्नेह देकर, भाभी को गले लगाना!
खबर वहां कि ले आए,
खोल दूगीं खिड़की दरवाजे
चाहे जितनी भी हो आवाजें!
सकुशल है सभी वहाँ पे
यह एहसास दिला दे!
राह तेरी निहारूगीं,
ऐ ठंडी हवा के झोके,
कभी गया है मेरे मायके!!
✍ranu



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