उलझन
अब तो तुम्हे बात करने की तलब भी ना रही...
शायद अब मैं जैसी पहले थी, वैसी ना रही...
मेरी भी अब नाराजगी ना रही...
शायद मेरी दिल में वो तड़प ना रही..।
तेरा मेसेज भी फॉर्मेलिटी वाला हो...
शायद अब मैं जैसी पहले थी, वैसी ना रही...
मेरी भी अब नाराजगी ना रही...
शायद मेरी दिल में वो तड़प ना रही..।
तेरा मेसेज भी फॉर्मेलिटी वाला हो...