...

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आज जात-पात
आज जात-पात ये इंसान को है बांटते हैं धर्म को ये चीरते, सत्य को है काटते।
डर ना भविष्य का ना भूत का,
प्रचार करे ये झूठ का ।
है लूटता है हर कोई हर कई ,हर घर में
अस्पताल, बड़े मौल,या कोई दफ्तर में
हलचल मे, हड़बड़ में , काम करे सब डर में
अपने पेट सींचते, निवाला दूसरों का खींचते
हां सूखा गला आधार कार्ड मंगता है क्या
भूखा पेट राशन कार्ड मंगता है क्या
नंगा बदन जात -पात देखता है क्या।
हां नहीं ना , हां बात ये सही ना,
हां सूखा गला पानी की धार हैं मंगता
भूखा पेट बस अनाज है मंगता
नंगा बदन कपड़े आज हैं मंगता
हां कोई देते क्या , हा कोई देते क्या
ना नहीं कोई नी देंगे , ना बिल्कुल ना देंगे
उल्टा जो मिला उसे भी लेंगे
लालची ये लालच के अंधे
हर जगह लालच की अपनी चादर बिछाएंगे
दूसरा ना खाएं , और खुद भी नी खाएंगे

आज जात-पात , ये समाज जो हैं बांटते
𝘼𝙨𝙝𝙞𝙨𝙝 𝙨𝙞𝙣𝙜𝙝