आज जात-पात
आज जात-पात ये इंसान को है बांटते हैं धर्म को ये चीरते, सत्य को है काटते।
डर ना भविष्य का ना भूत का,
प्रचार करे ये झूठ का ।
है लूटता है हर कोई हर कई ,हर घर में
अस्पताल, बड़े मौल,या कोई दफ्तर में
हलचल मे, हड़बड़ में , काम करे सब डर में
अपने पेट सींचते, निवाला दूसरों का खींचते
हां सूखा गला आधार...
डर ना भविष्य का ना भूत का,
प्रचार करे ये झूठ का ।
है लूटता है हर कोई हर कई ,हर घर में
अस्पताल, बड़े मौल,या कोई दफ्तर में
हलचल मे, हड़बड़ में , काम करे सब डर में
अपने पेट सींचते, निवाला दूसरों का खींचते
हां सूखा गला आधार...