...

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#प्रतीक्षा#
#प्रतिक्षा
स्थिर तन चंचल मन,
अडिग प्रतिक्षा की लगन;
शम्भू जैसे पाने को गौरा संग,
मैं भी हूँ सदियों से प्रतिक्षारत;
तुम्हारे मिलन को,
जैसे स्वाति की बूँद को तरसता
पपीहा;
मैं तरसती पाने को तेरा संग,
जीवन के अनंत सीमा तक;
साथ निभाऊँगी मैं पल-पल,
हर पल हर छन.!!