...

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कानो में बाला है इशारा !!
छपक नयन नीर बरसे
आंखो से बस तीर बरसे
पिया देखे को संवर तरसे
खिले सूरत उनके देखे भर से
हर शाम साज सुरूर छाए
कर याद उनको मन मचल आए
बरसात में भी ये नदी प्यासी
उनका साथ होना ही है काफी
कानो में बाला है इशारा
पायल भी बज कर है बुलाती
लज्जा है ये नजर झुकाती
अधरो पर मुस्कान लाती
लब करे इंतजार बैठे
वार्ता को उनसे तय्यार बैठे
उलझे से बाल हैरान नजर है
आंखो में उनके सूरज सा बल है
चेहरे का तेज अग्नि बराबर
सादगी की मूरत सरासर
मासूमियत जहां की समेटे
सकुचाए से एक ओर बैठे
हैं कार्य में मगसूल इतने
मौका नहीं एक नजर फटके
निकट मिलन में हमारे
उनका भोलापन यूं भारी है
कर कर इशारा लाख उनको
आखिर ये नारी हारी है ।
© Aryman Dwivedi

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