...

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उलझन...❤️
देखा तो कोई और था सोचा तो कोई और!
आ कर मिला और था चाहा तो कोई और!!

उस शख़्स के चेहरे में कई रंग थे छुपे हुए!
चुप था तो कोई और था बोला तो कोई और!!

दो चार क़दम पर ही बदलते हुए देखा उसे!
ठहरा तो कोई और था गुज़रा तो कोई और!!

तुम जान के भी उसको ना पहचान सकोगे!
अन्जान में वो और है जाना तो कोई और!!

उलझन में हूं खो दूं उसे या पा लूं क्या करूं!
खोने पर वो कुछ और है पाया तो कोई और!!

दुश्मन भी है हमराज़ भी अन्जान भी है वो!
क्या हमने समझा उसे और था वो कोई और..!!!

~P.s