अनवरत
हम अनवरत हैं उस मोङ पर
मिलती न मंजिल फिर भी जिस मोङ पर
चला इस सोंच में कि मिलेगा परिंदा कोई
पर यूँ अनजान था हर इक मोङ से ऐसे
गिर पाता है खोकर मोङ झरना जमीं पे...
मिलती न मंजिल फिर भी जिस मोङ पर
चला इस सोंच में कि मिलेगा परिंदा कोई
पर यूँ अनजान था हर इक मोङ से ऐसे
गिर पाता है खोकर मोङ झरना जमीं पे...