बेटियां
करते है पूजा दुर्गा की, और कहते है बेटियां मुर्दे की।
बेटी रखना बोझ है, मगर देवी का पूजन रोज है।
डरते क्यों है इसे रखने में, पढ़ने में लिखाने में।
शर्म या डर क्यों लगता है इसे कहीं भेजने या घूमने में।।
क्यों कहते हैं इनको लड़कों से कम,
जबकि दिया इन्ही ने है जन्म ।
मना करते हो लड़कियों को,कभी करके देखो लड़कों को,
संभल जाएगी दुनिया सारी,जब लड़के होंगे संस्कारी।।
अरे दुनिया वालो,तुम क्या जानो...
दुर्गा की रूप बेटियां,सरस्वती की छाया है।
जैसे मंदिर में दुर्गा को सवारते हैं,वैसे ही घर में बेटियों को संभालते हैं।...
बेटी रखना बोझ है, मगर देवी का पूजन रोज है।
डरते क्यों है इसे रखने में, पढ़ने में लिखाने में।
शर्म या डर क्यों लगता है इसे कहीं भेजने या घूमने में।।
क्यों कहते हैं इनको लड़कों से कम,
जबकि दिया इन्ही ने है जन्म ।
मना करते हो लड़कियों को,कभी करके देखो लड़कों को,
संभल जाएगी दुनिया सारी,जब लड़के होंगे संस्कारी।।
अरे दुनिया वालो,तुम क्या जानो...
दुर्गा की रूप बेटियां,सरस्वती की छाया है।
जैसे मंदिर में दुर्गा को सवारते हैं,वैसे ही घर में बेटियों को संभालते हैं।...