...

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हाल–ए–इश्क
नशे की तासीर हर कोई क्या बाएगा
मज़ा जो इश्क में हैं केवल आशिक़ बताएगा

इश्क का नशा हर कोई क्या जानें
हाल–ए–दिल लैला का केवल मजनू बताएगा

जमीं बंजर सा है दिल जहां इश्क न हो
आब–ए–इश्क को केवल प्यासा बताएगा

घायल जो ठहरे हम तेरे निगाहों के वार से
फिजूल है ताबीब का हुनर हम पे, हमे तेरा दीदार बचाएगा

तेरे दीदार को अब हमे एक अरसा को हुआ है
हम तेरे मरीज़ जो ठहरे हैं, अब हमे कौन बचाएगा
© Maaz Khan
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