वो एक अजिब सफर
क्या कहू मै अपनी कहाणी अपनी जुबानि
फिर भी कहता हू अपनी कहाणी अपनी ही जुबानी.
दिल्लगी तो बहुत कि थी हमने
मगर मोहब्बत सिर्फ आपसे हुई थी हमे..
'तेरी हसी, तेरा बचपणा सबकुछ जिया था हमने
कभी किसी के लिये नही बेहका उतना दिल बेहका था आपके लिये..
सबके साथ जिया,पर जिंदगी भर...
फिर भी कहता हू अपनी कहाणी अपनी ही जुबानी.
दिल्लगी तो बहुत कि थी हमने
मगर मोहब्बत सिर्फ आपसे हुई थी हमे..
'तेरी हसी, तेरा बचपणा सबकुछ जिया था हमने
कभी किसी के लिये नही बेहका उतना दिल बेहका था आपके लिये..
सबके साथ जिया,पर जिंदगी भर...