...

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माँ
Raaj PREEET

दिल से दरद को जब कभी गुजारा जाता है
मेरे दोस्त सबसे पहले शब्द माँ जुबां से पुकारा जाता है
सोच हमारी फिर बहुत पिछे चली जाती है
छौड कर कर हमे जब कोई जान से प्यारा जाता है
माँ है घर पर तो जरूरत क्या है खुदा की
PREEET माँ के रहते मंदिर मस्जिद मे बस यू ही वक्त गुजारा जाता है
गलत रस्ते पर चलने से कदम क्यो जगमगाते नही उनके
जिनको धीमी आवाज मे पिछे से कहते है भला इसमे क्या तुम्हारा जाता है
प्यार यार दोस्ती मोहब्बत सब बातें वक्त बिताने की है
PREEET की शायरी मे तो हर लफ्ज पाक मोहब्बत या फिर माँ पर उतारा जाता है
इंसान अगर चाहे तो क्या कुछ कर नही सकता
PREEET से जुड़ी आत्माओं का जीवन होंसलो से संवारा जाता है
माँ ही आगाज है जिंदगी का और माँ पर खत्म है सांसे
माँ के बाद बस यह जीवन गुजारा जाता है
भला करने वाला भी फिर सोचता नही भलाई के बारे मे
अच्छे इंसान के मुंह पर ही जब शब्द कोई खारा जाता है
जिन लडकियो के बिना जीवन का कोई सार नही
फिर उनको ही क्यो PREEET कोख मे ही मारा जाता है

© आवारा पागल दीवाना