...

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ये इश्क़ नही आसाँ
संवरने ने का शौक था
बिखरते चले गए ...
मुस्कुरा लेते थे अच्छे खासे
रूठते चले गए ...
पाने की चाहत न थी कोई
खुद को भी खोते चले गए ..
ये इश्क़ नहीं आसाँ पता था दिल को
फिर भी करते चले गए
'प्रीत' ना समझ तो नहीं थी
वक़्त पर समझाते चले गए
© speechless words