14 views
ख़ामोशी की सदा
सबने वो भी सुना जो मैंने कहा ही नहीं
वहम वो रोग जिसकी कोई दवा ही नहीं
गलतफहमियां इतनी बढ़ने लगीं दर्मियां
कभी सुनी मेरी ख़ामोशी की सदा ही नहीं
मैंने चाहा था सब को साथ लेकर चलना
रास्ता दुश्वार था साथ कोई चला ही नहीं
पीर पराई उसके लिए समझना है मुश्किल
जीवन में जिसने कोई दुख सहा ही नहीं
मैंने तर्क़* किया जबसे लोगों की बातें सुनना
सब अपने लगने लगे दुश्मन कोई रहा ही नहीं
*तर्क़ = छोड़ना
© अमरीश अग्रवाल "मासूम"
वहम वो रोग जिसकी कोई दवा ही नहीं
गलतफहमियां इतनी बढ़ने लगीं दर्मियां
कभी सुनी मेरी ख़ामोशी की सदा ही नहीं
मैंने चाहा था सब को साथ लेकर चलना
रास्ता दुश्वार था साथ कोई चला ही नहीं
पीर पराई उसके लिए समझना है मुश्किल
जीवन में जिसने कोई दुख सहा ही नहीं
मैंने तर्क़* किया जबसे लोगों की बातें सुनना
सब अपने लगने लगे दुश्मन कोई रहा ही नहीं
*तर्क़ = छोड़ना
© अमरीश अग्रवाल "मासूम"
Related Stories
20 Likes
10
Comments
20 Likes
10
Comments