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जिंदगी..कल आज और कल..
आज मजाक वो मैरी क़िस्मत का बे-मुरव्वत हो उड़ा रहे...
बड़ी ही निर्लज्जता से वो मुझे हंसी ठिठौली का पात्र बना रहे...
कल तक ना होती थी जिनकी महफ़िल बिन हमारे रोशन...
आज वो अहसान फरामोश लिये चिराग़ ऐ रोशनी - मेरा ही आशियां जला रहे...
ये वक़्त की सियासत है जिंदगी और कुछ नहीं,
कल वक़्त मेरा था आज तू हो रहा रोशन वहीं...
बड़ी बे-हाया, बे-मुरव्वत और सियासी सी है जिंदगी...
इससे बड़ा हमदम या धोखेबाज ना हुआ होगा कहीं कभी....
© दी कु पा
बड़ी ही निर्लज्जता से वो मुझे हंसी ठिठौली का पात्र बना रहे...
कल तक ना होती थी जिनकी महफ़िल बिन हमारे रोशन...
आज वो अहसान फरामोश लिये चिराग़ ऐ रोशनी - मेरा ही आशियां जला रहे...
ये वक़्त की सियासत है जिंदगी और कुछ नहीं,
कल वक़्त मेरा था आज तू हो रहा रोशन वहीं...
बड़ी बे-हाया, बे-मुरव्वत और सियासी सी है जिंदगी...
इससे बड़ा हमदम या धोखेबाज ना हुआ होगा कहीं कभी....
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