रात
पढा था कही..
के रातो के अंधेरे सच कहलवाते है लबो से ।
अब सच लगता है ये ...
रात भी यही है और लफ्ज़ भी ..
सच कहू.. लगता है सच पढ़ रही हूँ एक अरसे बाद...
अनजाने लफ़्ज़ों का...
के रातो के अंधेरे सच कहलवाते है लबो से ।
अब सच लगता है ये ...
रात भी यही है और लफ्ज़ भी ..
सच कहू.. लगता है सच पढ़ रही हूँ एक अरसे बाद...
अनजाने लफ़्ज़ों का...