आम और तरबूजा
कविता-आम और तरबूजा
कहा आम तरबूजे से
सुन लो मेरी बात
फलों का राजा आम मैं
तेरी क्या औकात
गांव शहर घर-घर में मेरी
सबमें है पहचान
बड़े शान से बच्चे बूढ़े
करते खूब बखान
अमृतफल फलश्रेष्ट अंब
आम्र अनेकों नाम
लंगड़ा चौसा दशेहरी
रूपों से संनाम
स्वादों में अनमोल मै
मिलता बरहो मांस
शादी लगन बरात में...
कहा आम तरबूजे से
सुन लो मेरी बात
फलों का राजा आम मैं
तेरी क्या औकात
गांव शहर घर-घर में मेरी
सबमें है पहचान
बड़े शान से बच्चे बूढ़े
करते खूब बखान
अमृतफल फलश्रेष्ट अंब
आम्र अनेकों नाम
लंगड़ा चौसा दशेहरी
रूपों से संनाम
स्वादों में अनमोल मै
मिलता बरहो मांस
शादी लगन बरात में...