ये सफ़्हे
इन सफ़्हों से जाने कैसी यारी मैने गांठी है
सफ़्हों से कितने ग़म कितनी खुशियां बांटी है
रंग बिरंगे स्याह सफ्हे कभी भरे कभी खाली है
इन सफ़्हों पर मेरे अश्कों का सैलाब है उमड़ा
कभी सफ़्हों ने जज़्बातों की आंधी संभाली...
सफ़्हों से कितने ग़म कितनी खुशियां बांटी है
रंग बिरंगे स्याह सफ्हे कभी भरे कभी खाली है
इन सफ़्हों पर मेरे अश्कों का सैलाब है उमड़ा
कभी सफ़्हों ने जज़्बातों की आंधी संभाली...