...

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माँ
माँ के यहां,
हर गलती की माफ़ी है,
दो पल अच्छे से बात कर लो,
उसके लिए यहीं काफी है,
गर है माँ बूढ़ी, और हो साथ,
उसके लिए यहीं काफी है,
हो उसके बच्चे दो या चार,
कभी किसी से की नहीं नाइंसाफी है,
बुढ़ापे की लाठी हो तुम,
उसके लिए यहीं काफी है,
पूरे कोई कर सकता नहीं,
जितना हिसाब उसका बाकी है,
ज़रूरी नहीं सेल्फी हों मम्मी के साथ,
सेलफिश न बनो तुम,
उसके लिए यही काफी है,
भूखी होगी वो, बीत चुके होंगे दिन चार,
तब भी पहले तूझे खिलाने को होगी वो तैयार,
उम्र बीत गयी,
कभी किताबों में भी ढ़ूंढ न पाया,
मम्मा लातीं है कहां से इतना प्यार,
कब आएगा लला मेरा,
रोज करती है मेरा इंतजार,
अफसोस है जता पाता नहीं कभी
कि माँ तुम हो मेरा संसार।
-Kundan Victorita