दोस्ती......... बिछड़न
मिलकर बिछड़ रहें हैं
मिले है तभी तो बिछड़ रहें हैं ,
अब ग़म कम और खुशियां ज्यादा मनाओ
क्यूंकि अब आगे किसी मोड़ पर
मिलने का बहाना ढूंढ रहे हैं ,
अब सब की मंज़िल के रास्ते अलग है
पर अब न मिलेगे उस तरह
जैसे मिले थे पहली बार
किसी अजनबी की तरह ,
अब मिलेंगे तो ठीक उसी तरह
जैसे बारिश के बीच अचानक निकलने वाली
धूप की किरणों की तरह ,
बस भूल न जाना इस जहां की तरह
थोड़ा सा ही सही पर याद रखना
दूध में मलाई की तरह।
© Pradeep Raj Ucheniya
मिले है तभी तो बिछड़ रहें हैं ,
अब ग़म कम और खुशियां ज्यादा मनाओ
क्यूंकि अब आगे किसी मोड़ पर
मिलने का बहाना ढूंढ रहे हैं ,
अब सब की मंज़िल के रास्ते अलग है
पर अब न मिलेगे उस तरह
जैसे मिले थे पहली बार
किसी अजनबी की तरह ,
अब मिलेंगे तो ठीक उसी तरह
जैसे बारिश के बीच अचानक निकलने वाली
धूप की किरणों की तरह ,
बस भूल न जाना इस जहां की तरह
थोड़ा सा ही सही पर याद रखना
दूध में मलाई की तरह।
© Pradeep Raj Ucheniya