स्त्री सोचती बहुत है...
स्त्री झाँक पुरुष के आंखों में भाप लेती है उसकी औकात
समझ लेती है उसकी बेबसी और लाचारी..
साथ पढ़ लेती है उसके अंदर छिपी मक्कारी...
क्यों कि स्त्री पढ़ती शान्त हो पुरुष को
वो ना आकर्षित होती है सिर्फ सौंदर्य से
वो सौंपने से पहले अपना सर्वस्व पुरुष को
सोचती है अपना भविष्य बहुत कुछ..
पढ़ती है उसके स्वभाव को उसके व्यवहार को..
पर अब वक्त बदल रहा है
लड़कियां भी...
समझ लेती है उसकी बेबसी और लाचारी..
साथ पढ़ लेती है उसके अंदर छिपी मक्कारी...
क्यों कि स्त्री पढ़ती शान्त हो पुरुष को
वो ना आकर्षित होती है सिर्फ सौंदर्य से
वो सौंपने से पहले अपना सर्वस्व पुरुष को
सोचती है अपना भविष्य बहुत कुछ..
पढ़ती है उसके स्वभाव को उसके व्यवहार को..
पर अब वक्त बदल रहा है
लड़कियां भी...