रात, ख़्वाब और बात
बज रहे है , रात के बारह
और मेरी इन आंखों से नींद लापता हैं
अरे नींद आए भी तो कैसे ,
इन आंखों मे अब ख़्वाब ही कहा...
और मेरी इन आंखों से नींद लापता हैं
अरे नींद आए भी तो कैसे ,
इन आंखों मे अब ख़्वाब ही कहा...