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जय श्री राम!!
अयोध्या में जन्म श्री राम
आई खुशियां,छाई बहार
हमेशा करते माता पिता का सम्मान
कभी न करते अपने गुरुओं का अपमान
भाईयों में ज्येष्ठ,माता के प्रिय पुत्र
राज गद्दी के तथा राजा दशरथ के सुपुत्र
चले शिक्षा ग्रहण करने को वन
साथ में उनके लक्ष्मणअनुज।
शिक्षा प्राप्त कर लौटे वन के रास्ते
कर वध एक दानव को किया मोक्ष प्रदान
मान गुरु की बात चले स्वयंवर की ओर
जहां चल रहा था राजाओ के हृदय में युद्ध घनघोर
सभी ने किया बहुत ही प्रयास
परन्तु नहीं लगी सफलता किसी के भी हाथ
बारी आई प्रभु श्री राम की
जिन्होने माता सीता के हृदय को लिया मोह
धनुष तोड़ माता से विवाह किया श्री राम ने
विवाह पश्चात लौटे वो अयोध्या
अयोध्या लौटे, कुछ दिन खुशी के बीते
फिर छाया जीवन में उनके घनघोर अंधेरा
राजा दशरथ की बात को मान
वह वन जो जाते है
अपने पिता के दिए वचन को हृदय से निभाते हैं
यूँ ही नहीं वो श्री राम कहलाते हैं !!
वन में माता सीता व अनुज साथ में जाते है
और उनके सफर के साथी बन जाते हैं
सह कर साथ में सब कुछ,
युद्ध कर माता सीता को वापस लाते हैं
युही नहीं वो आदर्शवादी कहलाते है !!
राज धर्म हेतु स्वयं की
पत्नी का त्याग किया
राजभवन में रहकर भी
धारण वैराग्य किया
वो राज धर्म का हर एक कर्तव्य निभाते है
युही नहीं मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम कहलाते हैं !!
!!जय श्री राम !!
© hema singh __
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