कुछ हसीन यादें
कुछ हसीन यादें
याद है मुझको वो गुज़रा हुआ ज़माना,
वो पेड़ों पर चढ़ना और बेरी का झड़ना।
तितली के पीछे वो पहरों भटकना,
बरसाती पानी में छप-छपाक चलना।
याद है मुझको वो गुज़रा हुआ ज़माना।
सर्कस का शहर में वो प्रचार होना,
हमारा चुपके-चुपके फिर माँं को...
याद है मुझको वो गुज़रा हुआ ज़माना,
वो पेड़ों पर चढ़ना और बेरी का झड़ना।
तितली के पीछे वो पहरों भटकना,
बरसाती पानी में छप-छपाक चलना।
याद है मुझको वो गुज़रा हुआ ज़माना।
सर्कस का शहर में वो प्रचार होना,
हमारा चुपके-चुपके फिर माँं को...