जीवन एक कविता
मन के अंतर्द्वन्द्व में फँसी
विरोधाभासों से भरी
जीवन एक कविता ,
जो ना कलमबद्ध हुई ,ना छपी कही
ताज़िन्दगी , बदलते
मनोभावों ने जो गढ़ी
मुखपृष्ठ पर आने की चाह
पर ,हाशिये पर है पड़ी
जीवन एक कविता ,
जो ना लिखी कभी,ना गई पढ़ी
© बदनाम कलमकार
विरोधाभासों से भरी
जीवन एक कविता ,
जो ना कलमबद्ध हुई ,ना छपी कही
ताज़िन्दगी , बदलते
मनोभावों ने जो गढ़ी
मुखपृष्ठ पर आने की चाह
पर ,हाशिये पर है पड़ी
जीवन एक कविता ,
जो ना लिखी कभी,ना गई पढ़ी
© बदनाम कलमकार