मजबूरी
#मजबूरी
झूठ नहीं मजबूरी है,
तुम जानों क्या क्या ज़रूरी है;
नंगे बदन की भी अपनी धुरी है,
#मजबूरी
झूठ नहीं मजबूरी है,
तुम जानों क्या क्या ज़रूरी है;
नंगे बदन की भी अपनी धुरी है,
अमीर है तो ,मॉडर्न है
गरीबों के लिए ये मजबूरी है
क्यों आखिर बदन दिखाना जरूरी
है,
रिश्तों को जार जार करने की ताकत रखता है
टूट जाते हैं रिश्ते जब इश्क का दिल इससे भरता है
कही पे ये रोजगार कहीं पे जी हजूरी है
समझ में नही आता आखिर
ये कैसी मजबूरी है.....✍️
झूठ नहीं मजबूरी है,
तुम जानों क्या क्या ज़रूरी है;
नंगे बदन की भी अपनी धुरी है,
#मजबूरी
झूठ नहीं मजबूरी है,
तुम जानों क्या क्या ज़रूरी है;
नंगे बदन की भी अपनी धुरी है,
अमीर है तो ,मॉडर्न है
गरीबों के लिए ये मजबूरी है
क्यों आखिर बदन दिखाना जरूरी
है,
रिश्तों को जार जार करने की ताकत रखता है
टूट जाते हैं रिश्ते जब इश्क का दिल इससे भरता है
कही पे ये रोजगार कहीं पे जी हजूरी है
समझ में नही आता आखिर
ये कैसी मजबूरी है.....✍️