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न जाने ओ कौन है?
खामोशी भी कभी कभी आंहे भर जाती हैं
जब कभी दिल को उसकी याद आती हैं।
चलती राहों में भी जो सायां बन जाए,
आइना देखू तो तस्वीर उसकी नज़र आए।
तकदीर की कहानियां उसी से जुड़ राहा हैं,
ये लम्हा ना जाने कौनसी मोड़ ले राहा है ।
क्या दिल जो कह रहा है ओ सही है,
ख्वाबों में जो है,आईने में भी वहीं हैं।
नज़र ढुंडती है जिसको हर जगह,
ओ मिलेगा नजाने कब और कँहा?
खोयी हूँ यादों में उसकी और ओ मौन हैं,
इंतज़ार में हूँ जिसकी न जाने ओ कौन है?
© Savitri..
जब कभी दिल को उसकी याद आती हैं।
चलती राहों में भी जो सायां बन जाए,
आइना देखू तो तस्वीर उसकी नज़र आए।
तकदीर की कहानियां उसी से जुड़ राहा हैं,
ये लम्हा ना जाने कौनसी मोड़ ले राहा है ।
क्या दिल जो कह रहा है ओ सही है,
ख्वाबों में जो है,आईने में भी वहीं हैं।
नज़र ढुंडती है जिसको हर जगह,
ओ मिलेगा नजाने कब और कँहा?
खोयी हूँ यादों में उसकी और ओ मौन हैं,
इंतज़ार में हूँ जिसकी न जाने ओ कौन है?
© Savitri..
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