तुम्हारा शहर
तुम्हारे शहर का आसमान बादल से पटा हैं?
मेघ है या बस छटा भर है
तितर-बितर बेढ़ंगे आकार भर है
छिटके है सफेद फाहा बन इधर-उधर।
या आसार हैं नेह से तुम्हें छू जाने का।
तुम्हारे शहर की हवा कैसी है?
शीतल बलखाती हुई मस्त मलंग है
अलसाई डाल-डाल पात-पात भर है
या झुलस-झुलस कर ताप बन बरस...
मेघ है या बस छटा भर है
तितर-बितर बेढ़ंगे आकार भर है
छिटके है सफेद फाहा बन इधर-उधर।
या आसार हैं नेह से तुम्हें छू जाने का।
तुम्हारे शहर की हवा कैसी है?
शीतल बलखाती हुई मस्त मलंग है
अलसाई डाल-डाल पात-पात भर है
या झुलस-झुलस कर ताप बन बरस...