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तृष्णगी
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हद से बढ़ने लगी मेरी दीवानगी
तूने रोका नहीं तो बढ़ गई आशिकी
जर्रे जर्रे में अब तू दिखाई भी दे
तुझसे मिलकर मिटेगी
मेरी ये तृष्णगी ......
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तू ही राहत भी है और जरूरत भी है
आ के मिल जा जरा अब तो मुहूर्त भी है
तेरे कदमों में वारू में दोनों जहां
मेरे शंभू की ऐसी है जादूगरी
तुझसे मिलकर मिटेगी
मेरी ये तृष्णगी.......

शंभू

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