" मैं और वो "
मैं आज़ाद इन हवाओँ सी
तो वो शक्तिशाली रूख़ सा
मैं मदमस्त बादल सी
तो वो विशाल अम्बर सा
मैं रौशन ज्योति सी
तो वो प्रकाशमय तारे सा
मैं खुशबू मिट्टी सी
तो वो महमहता चन्दन सा
मैं खुद्दार चाँद सी
तो वो गुरुरी सूरज सा
मैं चंचल धूल सी
तो वो फैला अवनि सा
मैं तेज नदी सी
तो वो गहरा सागर सा
मैं अर्थ किताबो सी
तो वो ज्ञान ग्रन्थ सा
मैं सीधी गौ सी
तो वो सौम्य जल सा
मैं सच्ची आईने सी
तो वो मसीहा कांच सा
इन सारी बातों को सुनकर
दिमाक बोला वो तेरी कमजोरी सा
दिल तुरंत ही तड़पकर बोला
वो ज़िंदगी के लिए जरुरी सा
© Gayatri Dwivedi
तो वो शक्तिशाली रूख़ सा
मैं मदमस्त बादल सी
तो वो विशाल अम्बर सा
मैं रौशन ज्योति सी
तो वो प्रकाशमय तारे सा
मैं खुशबू मिट्टी सी
तो वो महमहता चन्दन सा
मैं खुद्दार चाँद सी
तो वो गुरुरी सूरज सा
मैं चंचल धूल सी
तो वो फैला अवनि सा
मैं तेज नदी सी
तो वो गहरा सागर सा
मैं अर्थ किताबो सी
तो वो ज्ञान ग्रन्थ सा
मैं सीधी गौ सी
तो वो सौम्य जल सा
मैं सच्ची आईने सी
तो वो मसीहा कांच सा
इन सारी बातों को सुनकर
दिमाक बोला वो तेरी कमजोरी सा
दिल तुरंत ही तड़पकर बोला
वो ज़िंदगी के लिए जरुरी सा
© Gayatri Dwivedi
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